22 वर्षो के बाद बक्सर में एक बार फिर किया गया सर्कस का आयोजन,विधि विधान से पूजा कर किया गया शुभारंभ,देश विदेश के कलाकारो ने हैरतअंगेज दिखाए काला..
बक्सर में 22 साल बाद लोगों को सर्कस विलुप्त हो रहा मनोरंज का साधन सर्कस एक बार फिर देखने को मिल रहा है।रविवार की शाम इसका शुभारंभ आईटीआई रोड स्थित मेला मैदान में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। जिसमें सर्कस के ओनर कुल्लू बाबू और मां अहिल्या एम्यूजमेंट के निदेशक नरेश लश्करी के साथ शहर के गणमन एवं बुद्धिजीवी आदि लोग मौजूद रहे।सर्कस में अफ्रीकन एवं रूसी कलाकारों का हैरतअंगेज करनामें ,मोटरसाइकिल ग्लोब, फ्लाइंग ट्रैफिक ,रिंग डांस ,फायर डांस ,साइकिल रेस, रोलर बैलेंस , फुट बास्केटबॉल, विदेशी डाॅग-शो, फायर डांस, का प्रदर्शन किया गया। साथ ही जोकर के द्वारा हास्य कला का प्रदर्शन अपने आप में अनोखा था।रूसीऔर अफ्रीकन कलाकार के जिमनास्टिक का प्रदर्शन भी लोगो को ताली बजाने को मजबूर कर दिया।
बता दे की इस डिजिटल जमाने की दुनिया में जहां बच्चे मोबाइल,टीवी ,लेपटॉप,कंप्यूटर आदि में खोए रहते है। उनके लिए यह एक अद्भुत नजारा था। सर्कस के माध्यम से मनोरंजन का नया तड़का को देख बच्चे खूब हूटिंग कर रहे थे। अभिभावक भी अपने बच्चो और परिवार के साथ इस विलुप्त हो रहे मनोरंजन के साधन को देखने के लिए पहुंचे थे। बच्चो को बता रहे थे की हमारे जमाने में बहुत सारे नामी गिरामी सर्कस हुआ करता था। वही अभिभावकों को सर्कस को देखते ही बचपन की यादें ताजा हो गई।
सर्कस के मालिक कुल्लू बाबू नरेश ने कहा की अब तक देश में कुछ वर्षों तक 300 नामी सर्कस हुआ करते थे।परंतु वर्तमान में सरकार द्वारा सर्कस में जानवरों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध के कारण देश के अंदर केवल सात सर्कस बच गए है।इतने प्रतिबंध के बाद सर्कस का निरंतर संचालित करना अत्यधिक कठिन होता जा रहा है।जिसके कारण भारत में अब चंद सर्कस ही काम कर रहे है।ऐसे में ग्रेट जैमिनी सर्कस कलाकारों की प्रतिभा और हमारी कला संस्कृति को जीवंत रखी हुई है। आयोजक ने बताया कि मोबाइल और टीवी के माध्यम से मनोरंजन प्राप्त करने वाले परिवार से अपील है कि बच्चों को अपनी पुरानी संस्कृति से अवगत कराए।उन्होंने कहा की लगातार बढ़ती प्रतिबद्धता के कारण हो सके 22 साल बाद सर्कस का आयोजन तो यह किया गया है।लेकिन यह आयोजन आखिरी भी हो सकता है।
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